Monday, August 27, 2007

रोना आया.....

ए मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया,

जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया..

यूं तो हर शाम उम्मीदों मे गुज़र जाती थी,

आज कुछ बात है, जो शाम पे रोना आया..

कभी तकदीर का मातम, कभी दुनिया का गिला,

मंज़िल-ए-इश्क मे हर गम पे रोना आया...

जब हुआ ज़िक्र ज़माने मे मोहब्बत का

मुझको अपने दिल-ए-बेकाम पे रोना आया.....

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