मैं खयालो में, मैं सवालो में
मैं कभी सुबह, मैं कभी शाम
मैं कभी रात, मैं कभी जज्बात
मैं जीत हूँ, मैं प्रीत हूँ
मैं आँख का इशारा, मैं दिल का हुलारा
मैं कहीं धड़कन मैं कहीं साँसें
मैं कहीं दिलबर, मैं कहीं महबूबा
मैं कहीं यार, मैं कहीं आप रब्ब
बता मुझे, मैं कहाँ नहीं
मैं यहाँ, मैं वहाँ
मुझसे ही यह सारा जहाँ
मुझसे कोई जुदा नहीं
मैं तुझे में मैं मुझ में
मैं कभी तेरा दिलबर हसीं
कभी तेरा जानाशीन
मैं हर वक़्त तुझ में
बस कहते हैं मुझे पर्दानशीं
मैं जो शब में हूँ
मैं ही तो मुहब्बत हूँ.......!!
This blog contains my poems And I think that only my poems can describe me better.
Wednesday, November 7, 2007
Friday, November 2, 2007
मिटटी मेरी कब्र से चुरा रहा है कोई………
मिटटी मेरी कब्र से चुरा रहा है कोई………
मर के भी याद मुझे आ रहा है कोई ………
ए खुदा दो पल की जिंदगी और दे दे ……॥
उदास मेरी कब्र से जा रहा है कोई ...........
उस को चाहा भी तो इजहार करना नही आया
कट गई उमर मगर प्यार करना नही आया
उस ने माँगा भी अगर कुछ जुदाई मांगी
और हम थे के हम को इनकार भी करना नही आया
इक ही लम्हे में सदियों की जुदाई दे दी………
अजमाईएश थी के हम दिल के कितने हैं………
हम ने खैरात में उस बुत को खुदाई दे दी…
मर के भी याद मुझे आ रहा है कोई ………
ए खुदा दो पल की जिंदगी और दे दे ……॥
उदास मेरी कब्र से जा रहा है कोई ...........
उस को चाहा भी तो इजहार करना नही आया
कट गई उमर मगर प्यार करना नही आया
उस ने माँगा भी अगर कुछ जुदाई मांगी
और हम थे के हम को इनकार भी करना नही आया
इक ही लम्हे में सदियों की जुदाई दे दी………
अजमाईएश थी के हम दिल के कितने हैं………
हम ने खैरात में उस बुत को खुदाई दे दी…
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