Thursday, August 23, 2007

दोस्त

जिन दरख्तों पे हो परिंदों के आशियाँ,
खुदा करे कभी वो दरख़्त ना कटें,

मेरे दिल को तड़्पाने वाले यह दुआ है मेरी,
मुझे जलाने में कहीँ तेरे हाथ ना जलें.

मैंने ठोकरें खायी और लड़्खडा के गिरा,
खुदा करे कभी तेरे पैरों कि ज़मीन ना हिले.

लोग तोड़ ही लेंगे फूलों को शाखों से,
फूलों से लदी डालियाँ कभी रास्तों में ना झुके.

दोस्त बन कर मुझे, जिन्दगी कि सज़ा देने वाले,
कभी कोई दुश्मन तुझे दोस्त बन के ना मिले.

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