दर्द दिल मैं जगाते हैं तो आंखें खूब रोती हैं..
तुम्हारे बाद चाहत के सभी पंछी उड़ गए,
कहीं भी दिल लगाते हैं तो आंखें खूब रोती हैं..
तेरी तस्वीर, अधूरे खत तू जला दिए हम ने,
अब पानी पे नक्श बनाते हैं तो आंखें खूब रोती हैं..
घटा आवारगी मैं जब स्याह चोला पहनती है,
परिंदे जब सताते हैं तो आंखें खूब रोती हैं..
के जब भी शाम ढलती है मेरी किस्मत के सब तारे,
फलक पर जगमगाते हैं तो आंखें खूब रोती हैं..
सर्द तारीख रातों मैं स्याह सावन कि बारिश मैं,
दर्द जब मुस्कुराते हैं तो आंखें खूब रोती हैं॥
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