Sunday, September 23, 2007

तो आंखें खूब रोती हैं.......

ख़्याल दिल मैं आते हैं तो आंखें खूब रोती हैं,
दर्द दिल मैं जगाते हैं तो आंखें खूब रोती हैं..

तुम्हारे बाद चाहत के सभी पंछी उड़ गए,
कहीं भी दिल लगाते हैं तो आंखें खूब रोती हैं..

तेरी तस्वीर, अधूरे खत तू जला दिए हम ने,
अब पानी पे नक्श बनाते हैं तो आंखें खूब रोती हैं..

घटा आवारगी मैं जब स्याह चोला पहनती है,
परिंदे जब सताते हैं तो आंखें खूब रोती हैं..


के जब भी शाम ढलती है मेरी किस्मत के सब तारे,
फलक पर जगमगाते हैं तो आंखें खूब रोती हैं..

सर्द तारीख रातों मैं स्याह सावन कि बारिश मैं,
दर्द जब मुस्कुराते हैं तो आंखें खूब रोती हैं॥

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Friday, September 21, 2007

याद आया बहुत...............!!!!!




आज उस की याद ने हमें तड़्पाया बहुत
आज ना चाहते हुए भी वो याद आया बहुत


उस के बाद तो जैसे वहशतों से दोस्ती हो गयी
फिर क्यों आज तान्हाइयों ने डराया बहुत



वो मेरा था, मेरा है, मेरा रहेगा
हम ने इस ख़याल से खुद को बहलाया बहुत



शमा के जलने पर हम अफ़सोस करें क्यूँ
हम ने भी मानिंद शमा खुद को जलाया बहुत............

Sunday, September 16, 2007

अजनबी हो कर भी दिलनशीं तुम हो ....................

ऐसा लगता है मेरी जिन्दगी तुम हो
अजनबी हो कर भी दिलनशीं तुम हो
अब कोइ आरजू नहीं बाक़ी
जस्तजू मेरी आखरी तुम हो
मैं जमीन पर घना अँधेरा हूँ
आसमानों कि चांदनी तुम हो

दोस्तो से कि वफ़ा कि उम्मीद
किस जमाने के आदमी तुम हो

ऐसा लगता है की मेरी जिन्दगी तुम हो
अजनबी होकर भी दिलनशीं तुम हो !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

Saturday, September 15, 2007

Hamesha Haar Jaata Hoon...............

किसी से प्यार करता हूँ तो हमेशा हार जाता हूँ

में जितनी बार करता हूँ हमेशा हार जाता हूँ



कभी शाम से पहले किसी जाना की आंखों से

ये आँखें चार करता हूँ हमेशा हार जाता हूँ



कभी किसी महफिल मैं वफ़ा की गुफ्तुगू

पर जब तकरार करता हूँ हमेशा हार जाता हूँ



निगाहों में तो दूसरों से बाज़ी जीत जाता हूँ

तो जब इज़हार करता हूँ हमेशा हार जाता हूँ



कई शायद !! इस दफा मुझे अपना बना ले कोई

हमेशा प्यार करता हूँ हमेशा हार जाता हूँ ॥


Wednesday, September 5, 2007

जिसे तुम प्यार किया करते थे........


मैं वोही हूँ जिसे तुम प्यार किया करते थे
दिन में सौ बार मेरा नाम लिया करते थे.

आज क्या बात है क्यों मुझसे खफा बैठे हो
क्या किसी ओर का दिल अपना बना बैठे हो ?

फासले पहले तो इतने ना हुआ करते थे
मैं वोही हूँ जिसे तुम प्यार किया करते थे

मन के ये गम है कोई सौगात नही
तुम हमें अपना कहो ऐसे भी हालात नही

अगर भूल गए हो , तो कोई बात नही
ज़ख्म तो पहले भी इस दिल पे लगा करते थे
मैं वोही हूँ,जिसे तुम प्यार किया करते थे

जीं में आता है के आज तुम्हें तड़्पा दूं
दर्द जो तुमने दिए वो सुब तुम को लौटा दूं

अगर भूल गए हो तो ये बतला दूं
तुम मुझे हासिल-ए- अरमान कहा करते थे
मैं वोही हूँ जिसे तुम प्यार किया करते थे