Wednesday, August 15, 2007

मुझ को बे-वफ़ा रहने दो॥


ये जो हमारे दर्मियां रिश्ता है, इसे यूंही रहने दो

जो नही हो सकता कभी मुक्कद्दर हमारा, उसे ख़्वाब ही रहने दो


कल तक चांद के साथ हमारी कि गयी वो सारी बातें

चलो भूल जाएँ उन्हें, या फिर एक अफसाना ही रहने दो


तुम खुश हो अगर, एक नए हमसफ़र का हाथ थामे

मुझे फिर तुम इन्ही वीरानिओं में तनहा रहने दो


गुजरे लम्हों कि यादें तो हर पल मेरा दामन थामे रहेगी

पर आज जाते जाते अपने तमाम गम पहले कि तरह मेरे नाम ही रहने दो


छीन ली है तुम्हारे ख़ुलूस से अपनायत, वो सादगी वफ़ा

चलो अब तुम भी उसे किसी और को सौंप दो, मुझ को बे-वफ़ा रहने दो॥





1 comment:

  1. kya jitu bhai yahan time pass kar rahe ho...just try out sum magazine yaar......u r best..suggest u sumthg ..try sum music directors no...u surely desrve the fame yaar....btw again rocking one....

    ReplyDelete