This blog contains my poems And I think that only my poems can describe me better.
Saturday, May 3, 2008
जो कभी हुआ ही नही.......
अब यही मुनासिब है
मगर भुलाना भी चाहूँ
तो किस तरह बोलूँ
कह तुम तो फिर भी हकीकत हूँ
कोई खवाब नही
यहाँ तो दिल का यह आलम है के क्या कहूं
कम्बख्त
भुला न पाया वो सिलसिला
जो था ही नही
वो इक ख्याल
जो आवाज़ तक गया ही नही
वो इक बात
जो मैं कह नहीं सका तुम से
वो इक रुब्त
जो हम मैं कभी रहा ही नही
मुझे याद है वो सब
जो कभी हुआ ही नही.......
Monday, April 7, 2008
मुझसे कहती थी वो...!!!!!!!!!1
मुझसे कहती थी वो...
के इश्क नही होता किसी से !!!
मोहब्बत नही होती किसी से !!!
प्यार तो दो पल का भ्रम होता है,
कोई किसी पे उम्र भर मरता नही....
शुरुवात मी बड़ी-बड़ी कसम खाते है ये लोग,
लेकिन उन्हें निभाते नही है ये लोग,
प्यार में धोके दे जाते है प्यार करने वाले....
बेवफाई करके किसी और का हाथ थम लेते है ये लोग!!!
मुझसे भी कहती थी वो....
के इश्क नही होता किसी से !!!
मोहब्बत नही होती किसी से !!!
मगर मैंने भी कहा के
मुझे इश्क है, सिर्फ़ और सिर्फ़ तुझी से.....
मुझसे कहती थी वो की में उसे छोड़ दूँ,
उसके बिना रहने की आदत अपने आप में दाल लूँ,
मुझसे कहती थी वो,
के मेरे बिना रह लेगी वो,
मुझसे बिना मिले जी लेगी वो,
चाहती थी मुझे फ़िर भी ऐसा कहती थी वो,
न जाने किस बात से डरती थी वो......
दूर होना चाह जब मैंने उससे,
तो मुझी से लिपट गई वो,
मेरा बिना रहने से मुकर गई वो.....
फ़िर भी मुझे कहती है वो,
के इश्क नही होता किसी से !!!!!!
मोहब्बत नही होती किसी से !!!!!!
Friday, April 4, 2008
"आज किया ज़िक्र किसी ने जो तुम्हारा"
आज किया ज़िक्र किसी ने जो tumhaaraa
हलके हलके से फिर तुम याद आने लगे॥
मैं पुरानी बातोँ के समंदर मैं डूबने लगा
दिल मैं एक बार फिर तुम उतरने लगे ॥
पलकों के दरवाज़े को बंद किया मैंने
और आंसू बन के तुम आँखों से बहने लगे ॥
बेबसी इतनी के मेरे हाथ उठ गए
दोबारा अल्लाह से तुम्हें मांगने लगे॥
ज़िक्र तुम्हारा सुन कर एक बार फिर
मरे जज्बात तुम्हारी tamanna करने लगे॥
बना के तस्वीर तेरी मेरे जेहन मैं
मेरे टूटे अरमान रोने लगे॥
पा के तुम्हें khwabon मैं हम
जाग के फिर तुम्हें khone लगे ॥
वादा चाहता हूँ तकदीर से यह
के बदल दे वह जो होने लगे॥
NOTE- some formatting problem in my internet that's why some words in english .
चुप्पी भी मोहब्बत की जुबान होती हैं...................................
प्यार की सचाई निगाहों से बयां होती हैं ..........
महबूब न आए तो चुभन सी होती है दिल मैं.......
उसके आने से हर तमन्ना दिल की जवान होती हैं........
सब तकदीरों का खेल है यारों ............
हर किसी पे कहाँ यह मोहब्बत मेहरबान होती है ............
मिलना बिछड़ना खेल है तकदीर का ..........
जला जो मैं दर्द ऐ मोह्हबत में तो ..........
हर तमन्ना दिल में धुआ होती है......... !!!!
Monday, March 10, 2008
न सवाल बन के मिला करो ....................
मेरी ज़िंदगी मेरे खवाब हैं॥ मुझे ख्वाब बन के मिला करो॥
हर शाम को मेरे दोस्तो॥ यूँ अजाब बन के मिला करो॥
मुझे मयकदे में मिलो अगर॥ तो शराब बन के मिला करो॥
मुझे अच्छे लोग बहुत मिले॥ मैं तो उन के क़र्ज़ से मर गया॥
अरे हो सके तो कभी कभी॥ तो कह्राब बन के मिला करो॥
अभी सोचना है तो सोच लो॥ अभी शक है तो चोर दो॥
हाँ हजूर बन के मिला करो॥ जनाब बन के मिला करो॥
न सवाल बन के मिला करो॥ न जवाब बन के मिला करो॥
मेरी ज़िंदगी मेरे खवाब हैं॥ मुझे ख्वाब बन के मिला करो॥
Wednesday, January 9, 2008
ये हवा...................!
मुझे कुछ समझाने कुछ जताने आई है ये हवा
उसे नींद भी आती होगी ???
सोचता हूँ उसे नींद भी आती होगी
या मेरी तरह फक्त अश्क बहाती होगी
वो मेरी शक्ल मेरा नाम बोलने वाली
अपनी तस्वीर से क्या आँख मिलाती होगी
शाम होते ही चौखट पर जला कर शमायें
अपनी पलकों पर कई ख्वाब सजाती होगी
उस ने सिलवा भी लिए होंगे स्याह रंग लिबास
अब उदासी के साथ दिवाली मनाती होगी
होती होगी मेरी याद की तलब में पागल
जब भी ज़ुल्फोँ में कोई फूल सजाती होगी ???