Wednesday, January 9, 2008

ये हवा...................!


तुने शायद कुछ कहा है मुझ से,


जो बताने आई है ये हवा,


तेरी सासों कि खुशबु लिए हुए


वही अहसास लायी है ये हवा




ये हवा क्यों है कुछ भीगी भीगी से


शायद तेरी आँख के कुछ आँसू लायी है


ये हवा तेरी भीगी पलको का एहसास दिलाती


मुझे तेरे दर्द का अहसास दिलाने लायी है ये हवा




ये हवा कुछ गर्म से क्यों लगती है


शायद मेरे दिल को रुलाने आई है


ये हवा कि कितना जली है तू मेरे इंतज़ार मैं


वही इंतज़ार कि आग लायी है ये हवा




तेरे आँचल से छूट कर,


मेरे लिए तेरा आँचल बिखेरने आई है ये हवा


तेरी मखमली छुअन से छूकर

मुझे
कुछ समझाने कुछ जताने आई है ये हवा




तुने शायद कुछ कहा मुझ से,


जो बताने आई है ये हवा ,


तेरी सासों कि खुशबु लिए हुए


वही अहसास लायी है ये हवा

उसे नींद भी आती होगी ???


सोचता हूँ उसे नींद भी आती होगी

या मेरी तरह फक्त अश्क बहाती होगी

वो मेरी शक्ल मेरा नाम बोलने वाली

अपनी तस्वीर से क्या आँख मिलाती होगी

शाम होते ही चौखट पर जला कर शमायें

अपनी पलकों पर कई ख्वाब सजाती होगी

उस ने सिलवा भी लिए होंगे स्याह रंग लिबास

अब उदासी के साथ दिवाली मनाती होगी

होती होगी मेरी याद की तलब में पागल

जब भी ज़ुल्फोँ में कोई फूल सजाती होगी ???