Sunday, August 19, 2007

मिटटी में मिला दिया..........





तुमने
आंसू समझकर मुझे आंखों से गिरा दिया

समझकर बेगाना मिटटी में मिला दिया


मेरी खता माफ़ कर दो जो मैं यहाँ चला आया,

वर्ना हम तो जानते ही नही थे अपना नही है ये जहाँ,

नींद में डूबे जा रहे थे पर तुमने जगह दिया,


तुमने आंसू समझकर मुझे आंखों से गिरा दिया।


जाने कौन सी बहार थी जिसने मुझे उठा लिया,

लगाकर सीने से फिर मुझे भुला दिया,

जाने कौन से चमन का फूल था जो खिलने से पहले मुरझा गया,


तुमने आंसू समझकर मुझे आंखों से गिरा दिया।


जाने किस बेवफा मूरत को हमने दिल मैं बसा लिया,

हम भी कितने मासूम हैं उनके ग़मों को अपना मान लिया,

जाने हवा का कौन सा झोंका था जो जलते दीपक को बुझा गया,


तुमने आसूं समझकर मुझे आंखों से गिरा दिया।


हमे एक दिन उनकी बातों पर तरस आ गया,

सारी दुनिया को भुलाकर उनको अपना मान लिया

अपनी बदकिस्मती देखो सूरज उगने से पहले ही डूब गया,


तुमने आंसू समझकर मुझे आंखों से गिरा दिया,

समझकर बेगाना आज मुझे मिटटी में मिला दिया।




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