Monday, August 27, 2007

रोना आया.....

ए मोहब्बत तेरे अंजाम पे रोना आया,

जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया..

यूं तो हर शाम उम्मीदों मे गुज़र जाती थी,

आज कुछ बात है, जो शाम पे रोना आया..

कभी तकदीर का मातम, कभी दुनिया का गिला,

मंज़िल-ए-इश्क मे हर गम पे रोना आया...

जब हुआ ज़िक्र ज़माने मे मोहब्बत का

मुझको अपने दिल-ए-बेकाम पे रोना आया.....

टूट जाओगी...!!!


बस एक बार समझ लो यही गनीमत है।

मैं वो नहीं जिसे रोज़ आजमाओगी

बस एक दो तलक़ ही बहुत हैं जीने के

बहुत से रिश्ते बनाओगी तो टूट जाओगी...!!!

Thursday, August 23, 2007

अहसास नही...!

बंद होठों से जो एक बात कही थी मेने,
तुझको
अब तक मेरी उस बात का अहसास नही,

मेरे जज्बात का तू साज़ नही सुन सकता,
क्यों मेरे प्यार कि आवाज़ नही सुन सकता,

ऐसा लगता है कोई दिल ही तेरे पास ही नही,
तुझको अब तक मेरी उस बात का अहसास नही,

गूंजती है मेरी धड़कन कि सदा तेरे लिए,
मेरी आंखों मे अभी तक नशा है तेरे लिए,

में बनू जाम मगर तुझको मेरी प्यास नही,
तुझको अब तक मेरी उस बात का अहसास नही,

बंद होठों से जो एक बात कही थी मेने,
तुझको अब तक मेरी उस बात का अहसास नही...!


दोस्त

जिन दरख्तों पे हो परिंदों के आशियाँ,
खुदा करे कभी वो दरख़्त ना कटें,

मेरे दिल को तड़्पाने वाले यह दुआ है मेरी,
मुझे जलाने में कहीँ तेरे हाथ ना जलें.

मैंने ठोकरें खायी और लड़्खडा के गिरा,
खुदा करे कभी तेरे पैरों कि ज़मीन ना हिले.

लोग तोड़ ही लेंगे फूलों को शाखों से,
फूलों से लदी डालियाँ कभी रास्तों में ना झुके.

दोस्त बन कर मुझे, जिन्दगी कि सज़ा देने वाले,
कभी कोई दुश्मन तुझे दोस्त बन के ना मिले.

Tuesday, August 21, 2007

वरना में तुझे चाहने की खता बार बार नही करता.................





मैं लफ्जों मैं कुछ भी इज़हार नही करता
इसका मतलब ये नही क मैं तुझे प्यार नही करता॥

चाहता हूँ मैं तुझे आज भी
पर तेरी सोच मैं अपना वक्त बेकार नही करता॥

तमाशा ना बन जाए कहीं मोहब्बत मेरी
इसी लिए अपने दर्द को नमोदार नही करता ॥

जो कुछ मिला है उसी मैं खुश हूँ मैं
तेरे लिए खुदा से तकरार नही करता॥

पर कुछ तो बात है तेरी फितरत में जालिम
वरना में तुझे चाहने की खता बार बार नही करता॥



Sunday, August 19, 2007

मिटटी में मिला दिया..........





तुमने
आंसू समझकर मुझे आंखों से गिरा दिया

समझकर बेगाना मिटटी में मिला दिया


मेरी खता माफ़ कर दो जो मैं यहाँ चला आया,

वर्ना हम तो जानते ही नही थे अपना नही है ये जहाँ,

नींद में डूबे जा रहे थे पर तुमने जगह दिया,


तुमने आंसू समझकर मुझे आंखों से गिरा दिया।


जाने कौन सी बहार थी जिसने मुझे उठा लिया,

लगाकर सीने से फिर मुझे भुला दिया,

जाने कौन से चमन का फूल था जो खिलने से पहले मुरझा गया,


तुमने आंसू समझकर मुझे आंखों से गिरा दिया।


जाने किस बेवफा मूरत को हमने दिल मैं बसा लिया,

हम भी कितने मासूम हैं उनके ग़मों को अपना मान लिया,

जाने हवा का कौन सा झोंका था जो जलते दीपक को बुझा गया,


तुमने आसूं समझकर मुझे आंखों से गिरा दिया।


हमे एक दिन उनकी बातों पर तरस आ गया,

सारी दुनिया को भुलाकर उनको अपना मान लिया

अपनी बदकिस्मती देखो सूरज उगने से पहले ही डूब गया,


तुमने आंसू समझकर मुझे आंखों से गिरा दिया,

समझकर बेगाना आज मुझे मिटटी में मिला दिया।




Friday, August 17, 2007

मासूम मोहब्बत.......










मासूम
मोहब्बत का बस इतना फ़साना है

कागज़ कि हवेली है और बारिश का ज़माना है


क्या शर्त-ए-मोहब्बत है , क्या शर्त-ए-ज़माना है

आवाज़ भी जमी है और गीत भी गाना है


उस पार उतरने कि उम्मीद बहुत कम है

कश्ती भी पुरानी है और तूफा को भी आना है


समझे या ना समझे वो अंदाज मोहब्बत के

एक शख्स को आंखों से शैर सुनना है


भोली सी अदा कोई फिर इश्क कि जिद्द पर है

फिर आग का दरिया है और डूब के जाना है

तेरी ख़ुशी के लिए.......
















तेरी ख़ुशी के लिए तेरा प्यार छोड़ चले



निकल के तेरे चमन से बहार छोड़ चले


तेरी ख़ुशी के लिए



जो
याद हमारी दिलायेगा तुझ को



तेरे लिए वो दिल-ए-बेकरार छोड़ चले


तेरी ख़ुशी के लिए




उठा के लाश हम अपनी खुद अपने कंधे पर


तड़्पती आरजू का मज़ार छोड़ चले


तेरी ख़ुशी के लिए



हमें खुद अपनी तबाही का गम नही लेकिन


मलाल यह है के तुम्हे सूगावार छोड़ चले

तेरी ख़ुशी के लिए



तेरी ख़ुशी के लिए तेरा प्यार छोड़ चले


निकल के तेरे चमन से बहार छोड़ चले



Thursday, August 16, 2007

मरते ही नही...


धङकने रूक जाती है पर मरते ही नही...
दूर हो जाते है पर बिछङते ही नही...
कुछ ऐसे लोग भी होते है.....
टूट जाते है पर बिखरते ही नही....

कुछ लोग होते है जो तनहा जीं नही सकते..
लेकिन जाने क्यो तनहाई से डरते भी नही...
जानते रहते है कि गिरना ही पड़ेगा दोस्ती की राह मे...
फिर भी "हम" जैसे पागल सम्भलते भी नही

तो रो दिए..........



पूछा किसी ने हाल किसी का तो रो दिए

पानी में अक्स चांद का देखा तो रो दिए



नगमा किसी ने साज़ पर छैङा तो रो दिए

गंचा किसी ने शाख से तोङा तो रो दिए



उङता हुआ गुबार सर रह देख कर

अंजाम हम ने इश्क का सोचा तो रो दिए



बदल फजा में आप कि तस्वीर बन गयी

साया कोई ख़्याल से गुजरा तो रो दिए



रंग-ए-शफ्क से आग शागोफों में लग गयी

मुबीन सागर हमारे हाथ से झलका तो रो दिए

Wednesday, August 15, 2007

बेवफा ना कहो..............


वो साथ छोड़ गया है तो बेवफा ना कहो

हर एक चेहरे को ज़ख्मों का आइना ना कहो

ये जिन्दगी तो है रहमत इससे सजा ना कहो


तमाम शहर ने नजरो पे क्यों उछाला मुझे

ये इतिफाक था तुम इस को हादसा ना कहो


ये और बात क दुश्मन हुआ है आज मगर

वो मेरा दोस्त था कल तक उससे बुरा ना कहो


हमारे ऐब हमें उँगलियों पे गीनवाओ

हमारी पीठ के पीछे हमें बुरा ना कहो


ना जाने कौन सी मजबूरियों का कैदी हो

वो साथ छोङ गया है तो बेवफा ना कहो

मुझ को बे-वफ़ा रहने दो॥


ये जो हमारे दर्मियां रिश्ता है, इसे यूंही रहने दो

जो नही हो सकता कभी मुक्कद्दर हमारा, उसे ख़्वाब ही रहने दो


कल तक चांद के साथ हमारी कि गयी वो सारी बातें

चलो भूल जाएँ उन्हें, या फिर एक अफसाना ही रहने दो


तुम खुश हो अगर, एक नए हमसफ़र का हाथ थामे

मुझे फिर तुम इन्ही वीरानिओं में तनहा रहने दो


गुजरे लम्हों कि यादें तो हर पल मेरा दामन थामे रहेगी

पर आज जाते जाते अपने तमाम गम पहले कि तरह मेरे नाम ही रहने दो


छीन ली है तुम्हारे ख़ुलूस से अपनायत, वो सादगी वफ़ा

चलो अब तुम भी उसे किसी और को सौंप दो, मुझ को बे-वफ़ा रहने दो॥





बदलते रहते है...........


कभी नज़र पे कभी आंख पे,

तेरी नज़र के निशाने बदलते रहते है,

सकूं नही मिलता दुनिया को मरने के बाद भी,


जनाजे पर भी कंधे बदलते रहते है !!

ज़माने ने मुझको ठुकरा दिया है

ज़माने ने मुझको ठुकरा दिया है
मौत के और करीब ला दिया है
कभी मुड के जो पीछे देखता हूँ
सोचता हूँ, दुनिया ने मुझे क्या दिया हैं ?

वो जिसने मोहब्बत कि बाजी ना खेली
क्या ख़ाक ज़माने में वो इन्सान जिया है
हमारी तुम्हारी कुछ अलग बात है
इश्क तो दुनिया में बहुतों ने किया है

बिन पिए जो मैं लड्खड़ा रह हूँ
ये आंखों ने तेरी बता क्या किया है ?
मंज़िल कि तलाश में गया था मुसाफिर
रास्ते ने खुद उसको भटका दिया है !!

Monday, August 13, 2007

उसे भूल जा.......




कहॉ
आ कर रुके थे रास्ते..... कहॉ मौङ था उसे भूल जा

वो जो मिल गया उसे याद रख, जो नहीं मिल उसे भूल जा........


वो तेरे नसीब कि बारिश किसी और छत पे बरस घी

दिल-ए-बेखबर मेरी बात सुन , उसे भूल जा उसे भूल जा........


मैं तो गुम था तेरे धयान मैं, तेरे आस मैं तेरे गुमान मैं
सब कह गया mere कान मैं , मेरे पास आ उसे भूल जा.......


किसी आंख मैं नहीं अश्के-ए-गम, तेरे बाद नहीं कुछ भी कम

तुझे जिन्दगी नै भुला दिया, तू भी मुस्कूरा , उसे भूल जा.........


ना वो आंख ही तेरी आंख थी, ना वो खवाब ही तेरा खवाब था

दिल-ए-मुन्तज़िर तो ये किस लिए, तेरा जगना उसे भूल जा.........


ये जो दिन रात का है ख्याल सा, उसे देख ,

उस पर यकीन ना कर नहीं अक्स कोई भी मुस्तकिल, सर- ए-आइना उसे भूल जा.............


जो बिसात-ए-जान ही उलट गया, वो रस्ते से ही पलट गया

उसे रोकने से हसूल किया, उसे मत नीला, उसे भूल जा उसे भूल जा..............





जीत

१४ अगस्त २००७

चुपके चुपके रो लेना



जब सीना गम से बोझल हो और याद किसी कि आती हो

तुब कमरे मे बंद हो जाना और चुपके चुपके रो लेना


जुब आंखें बागी हो जाये और याद मे मेरी भरे आहें

फिर खुद को धोखा मत देना और चुपके चुपके रो लेना


जब पलके कुर्ब से मुंदी हो और तुम्हे मैं सताऊ तो

फिर मुँह पे तकिया रख लेना और चुपके चुपके रो लेना


यह दुनिया ज़ालिम दुनिया है, यह बात बुहत बनाएगी

तुम सामने सब के चुप रहना और चुपके चुपके रो लेना


जब बारिश चेहरा धो डाले और अश्क भी बूंदे लगने लगे

वो लम्हा हरगिज़ मत खोना और चुपके चुपके रो लेना....

~*~कुछ जल्दी ना कर दी~*~

कुछ जल्दी ना कर दी तुमने जाने की ए सनम मेरे,
अभी तो हमारी अनमोल जिन्दगी की शुरुआत हुई थी सनम...

पलकों को मूंदा तो उठाना गए तुम भूल,
फकत दिन गुज़रा था , ज़रा सी तो रात हुई थी सनम ...

रोज़ रोज़ यहाँ टूटतेँ हैं दिल कुछ नयी बात नहीं,
तुमने क्यों लगा ली मन से, बेरुखी जो तुम्हारे साथ हुई थी सनम...

सफ़र-ए-जिन्दगी में आते ही रहते हैं इम्तिहान हज़ार,
थोडा सा कदम ही तो लङखङाये थे, कोन सी तुम्हारी मात हुई थी सनम....

आज देखा बारिश को तो भर आया यों बे-इख़्तियार दिल मेरा,
याद आई वो जो तुम्हारी निगाहों से दर्द की एक बार बरसात हुई थी सनम...

मैं हर गम सह लूँ मगर यह गम मुझको सतायेगा,
की ना हमारी ठीक से आखरी मुलाक़ात हुई थी सनम....

तुम जहाँ भी हो, मेरा खुदा रोशन वो जगह करे,
दुआ ही मेरे पास अब तुम्हारे लिए एक सौगात है मेरे सनम .....