समझ न सके दूरियां क्यूँ थी,
जुबान पर थे लफ्ज़ फिर मजबूरियों क्यूँ थी,
दिलों की बात अगर छाए हकीक़त होती है,
हमारे दर्मियाँ वोह खामोशियाँ क्यूँ थी,
बुने थे हमने भी कुछ रेशमी धागों के ख्वाब,
हमारे हिस्से में वोह काली दूरियां क्यूँ थी,
इधर होंठों पैर अज़ब सी जूम्बिश,
उधर कुछ राज़ दिल के तलों में,
समझ न सके न सरगोशियाँ हवाओं की,
हमारे हिस्से में सेहरा की आंधियां क्यूँ थी,
तुम्हे गुरेज़ मेरी चंद बातों से,
मैं भी परवाज़ kaa था हामिल,
पहुँच के मिल के पत्थर पर सोचता हूँ,
सफर तनहा to फिर वोह दूरियां क्यूँ थी…
This blog contains my poems And I think that only my poems can describe me better.
Sunday, November 15, 2009
Thursday, September 24, 2009
बेताब तमन्नाओ की कसक रहने दो !!
बेताब तमन्नाओ की कसक रहने दो,
मंजिल को पाने की ललक रहने दो,
आप भले ही रहो दूर नजरो से,
पर बंद पलकों में अपनी झलक रहने दो..
मंजिल को पाने की ललक रहने दो,
आप भले ही रहो दूर नजरो से,
पर बंद पलकों में अपनी झलक रहने दो..
Tuesday, September 15, 2009
उम्मीद..................
यूँ ही उम्मीद दिलाते हैं ज़माने वाले
कब पलटते हैं भला छोड़ के जाने वाले
तू कभी देख झुलसते हुए सेहरा मैं दरख्त
केसे जलते हैं वफाओं को निभाने वाले
उन से आती है तेरे लम्स की खुशबु अब तक
ख़त निकले हुए बैठा हों पुराने वाले
आ कभी देख ज़रा उन की शबों मैं आकर
कितना रोते हैं ज़माने को हंसाने वाले
कुछ तो आँखों की ज़ुबानी भी कहे जाते हैं
राज़ होते नही सब मुंह से बताने वाले
आज न चाँद न तारा है न जुगनू कोई
राब्ते ख़तम हुए उन से मिलाने वाले......
कब पलटते हैं भला छोड़ के जाने वाले
तू कभी देख झुलसते हुए सेहरा मैं दरख्त
केसे जलते हैं वफाओं को निभाने वाले
उन से आती है तेरे लम्स की खुशबु अब तक
ख़त निकले हुए बैठा हों पुराने वाले
आ कभी देख ज़रा उन की शबों मैं आकर
कितना रोते हैं ज़माने को हंसाने वाले
कुछ तो आँखों की ज़ुबानी भी कहे जाते हैं
राज़ होते नही सब मुंह से बताने वाले
आज न चाँद न तारा है न जुगनू कोई
राब्ते ख़तम हुए उन से मिलाने वाले......
उस से ज्यादा तो खुदा की तरफ नही देखा.......................
कभी खुशी से खुशी की तरफ़ नही देखा
वो मेरा है पर उसने मेरी तरफ़ नही देखा
जिंदगी से मिला तो हूँ मगर कुछ इस तरह
मैंने उसकी उसने मेरी तरफ़ नही देखा
उसको देखा था इक बार बड़ी संजीदगी से
उस से बेहतर कोई दूसरा नही देखा
वो मेरा इश्क है या इबादत है मेरी
उस से ज्यादा तो खुदा की तरफ़ नही देखा..
वो मेरा है पर उसने मेरी तरफ़ नही देखा
जिंदगी से मिला तो हूँ मगर कुछ इस तरह
मैंने उसकी उसने मेरी तरफ़ नही देखा
उसको देखा था इक बार बड़ी संजीदगी से
उस से बेहतर कोई दूसरा नही देखा
वो मेरा इश्क है या इबादत है मेरी
उस से ज्यादा तो खुदा की तरफ़ नही देखा..
कुछ लोग होते है आंसू की तरह ........................
****************************************
कभी लगा वो हमे सता रहे है,
दुसरे पल लगा की वो करीब आ रहे है,
कुछ लोग होते है आंसू की तरह,
पता ही नही लगता साथ दे रहे है या छोड़ के जा रहे है
****************************************
वो बेवफा हमारा इम्तिहान क्या लेगी
मिलेगी नज़र तो नज़र झुका लेगी,
उसे मेरी कब्र पे दिया जलने को न कहना,
नादान है वो यारो अपना हाथ जला लेगी.
****************************************
तुमसे दूर जाने का इरादा न था,
साथ साथ रहना का कभी वादा न था,
तुम याद न करोगे ये जानते थे हम,
पर इतनी जल्दी भूल जाओगे अंदाजा न था.
कभी लगा वो हमे सता रहे है,
दुसरे पल लगा की वो करीब आ रहे है,
कुछ लोग होते है आंसू की तरह,
पता ही नही लगता साथ दे रहे है या छोड़ के जा रहे है
****************************************
वो बेवफा हमारा इम्तिहान क्या लेगी
मिलेगी नज़र तो नज़र झुका लेगी,
उसे मेरी कब्र पे दिया जलने को न कहना,
नादान है वो यारो अपना हाथ जला लेगी.
****************************************
तुमसे दूर जाने का इरादा न था,
साथ साथ रहना का कभी वादा न था,
तुम याद न करोगे ये जानते थे हम,
पर इतनी जल्दी भूल जाओगे अंदाजा न था.
दर्द ही दर्द है दूर तलक ज़िन्दगी मे ....................
दर्द ही दर्द है दूर तलक ज़िन्दगी मे
और देखा क्या सुबह-शाम तुमने
ज़िन्दगी मे.
मेरी मुस्कुराहट पर है तेरी नज़र यहा
ऐसे ही तो छुपाया हमने हर गम
ज़िन्दगी मे.
और देखा क्या सुबह-शाम तुमने
ज़िन्दगी मे.
मेरी मुस्कुराहट पर है तेरी नज़र यहा
ऐसे ही तो छुपाया हमने हर गम
ज़िन्दगी मे.
मोहब्बत मांगे या न मांगे.......................
दौर -ऐ- शिकायत है, माफ़ी किस किस से मांगे
हर घर में भूखे है , हम रोटी किस से मांगे
दिए जलाये तो किस राह पर, अँधेरा हर कहीं है
चिरागों की रौशनी पनाह मांगे तो किस से मांगे
हर दिल को तोड़ गया है ग़म उसका अन्दर तक
हम खुशी मांगे भी तो, किस हक से मांगे
उस पर सितम यह खूब है नफरत का ज़माने मैं
सोचते है कई बार किसी से मोहब्बत मांगे या न मांगे
हर घर में भूखे है , हम रोटी किस से मांगे
दिए जलाये तो किस राह पर, अँधेरा हर कहीं है
चिरागों की रौशनी पनाह मांगे तो किस से मांगे
हर दिल को तोड़ गया है ग़म उसका अन्दर तक
हम खुशी मांगे भी तो, किस हक से मांगे
उस पर सितम यह खूब है नफरत का ज़माने मैं
सोचते है कई बार किसी से मोहब्बत मांगे या न मांगे
एक ज़ख्म भी उसको दिखाया न जा सका..................
पलकों पे आंसू को सजाया न जा सका,
उसको भी दिल का हाल बताया न जा सका,
ज़ख्मों से चूर चूर था यह दिल मेरा,
एक ज़ख्म भी उसको दिखाया न जा सका,
जब तेरी याद आई तो कोशिश के बावजूद,
आंखों में आँसू को छुपाया न जा सका,
कुछ लोग ज़िन्दगी में ऐसे भी आए है,
जिनको किसी भी लम्हे भुलाया न जा सका,
बस इस ख़याल से कही उसको दुःख न हो,
हमसे तो हाल-ऐ-गम भी सुनाया न जा सका,
वोह मुस्कुरा रहा था मेरे रूबरू मगर,
चेहरे का रंग उससे छुपाया न जा सका,
तनहाइयों की आग में हम जल गए,
मगर फासला दिलो का मिटाया न जा सका..!!!
उसको भी दिल का हाल बताया न जा सका,
ज़ख्मों से चूर चूर था यह दिल मेरा,
एक ज़ख्म भी उसको दिखाया न जा सका,
जब तेरी याद आई तो कोशिश के बावजूद,
आंखों में आँसू को छुपाया न जा सका,
कुछ लोग ज़िन्दगी में ऐसे भी आए है,
जिनको किसी भी लम्हे भुलाया न जा सका,
बस इस ख़याल से कही उसको दुःख न हो,
हमसे तो हाल-ऐ-गम भी सुनाया न जा सका,
वोह मुस्कुरा रहा था मेरे रूबरू मगर,
चेहरे का रंग उससे छुपाया न जा सका,
तनहाइयों की आग में हम जल गए,
मगर फासला दिलो का मिटाया न जा सका..!!!
देखकर दिलकशी ज़माने की ....................!
देखकर दिलकशी ज़माने की
आरजू है फरेब खाने की
ऐ गम-ऐ- ज़िन्दगी न हो नाराज़
मुझको आदत है मुस्कुराने की
अंधेरों से न डर
के रास्ते में रौशनी है मयखाने की
आज तेरी जुल्फों को प्यार करू
के रात है मशालें जलाने की !
आरजू है फरेब खाने की
ऐ गम-ऐ- ज़िन्दगी न हो नाराज़
मुझको आदत है मुस्कुराने की
अंधेरों से न डर
के रास्ते में रौशनी है मयखाने की
आज तेरी जुल्फों को प्यार करू
के रात है मशालें जलाने की !
Sunday, June 28, 2009
जब कोई खामोश रहकर सवाल कर लेता है......
कोई आँखों आँखों से बात कर लेता है,
कोई आँखों आँखों में मुलाक़ात कर लेता है,
बड़ा मुश्किल होता है तब जवाब देना ,
जब कोई खामोश रहकर सवाल कर लेता है......
कोई आँखों आँखों में मुलाक़ात कर लेता है,
बड़ा मुश्किल होता है तब जवाब देना ,
जब कोई खामोश रहकर सवाल कर लेता है......
मेरा कातिल भी रोयेगा ...............
हर महफिल भी रोएगी
हर एक दिल भी रोयेगा
जहाँ मेरी कश्ती डूबेगी
वहां साहिल भी रोयेगा
इतना प्यार बिखेर दूँगा
इस सारे ज़माने में
की मेरा कत्ल कर के
मेरा कातिल भी रोयेगा
हर एक दिल भी रोयेगा
जहाँ मेरी कश्ती डूबेगी
वहां साहिल भी रोयेगा
इतना प्यार बिखेर दूँगा
इस सारे ज़माने में
की मेरा कत्ल कर के
मेरा कातिल भी रोयेगा
Wednesday, June 17, 2009
कभी आंसू कभी खुशबू कभी नगमा बनकर ...................
कभी आंसू कभी खुशबू कभी नगमा बनकर
हम से हर शाम मिली है तेरा चेहरा बनकर
चाँद निकला है तेरी आँख के आंसू की तरह
फूल महकें हैं तेरी जुल्फ का साया बनकर
दिल के कागज़ पे उतरता है तुझे शेरों की तरह
मेरे होठों पे चमकता है तू नगमा बनकर
हम से हर शाम मिली है तेरा चेहरा बनकर
चाँद निकला है तेरी आँख के आंसू की तरह
फूल महकें हैं तेरी जुल्फ का साया बनकर
दिल के कागज़ पे उतरता है तुझे शेरों की तरह
मेरे होठों पे चमकता है तू नगमा बनकर
जिंदगी गुज़र रही है उस के ख्यालों में ...............
जिंदगी गुज़र रही है उस के ख्यालों में
अजीब सी इक लाली थी उस हसीं के गालों में
सोचा था भूल जायेंगे उस बेवफा को हम लेकिन
ऐक भी याद न मिट सकी देखो इतने सालों में !!
दुआ करती है हर साँस मेंऋ, के तुम हो या कोई भी न हो
रहे हाथ में हाथ अपना, कभी दिल से न तुम जुदा हो
मेरे दिल-ओ-दिमाघ पेय हमदम, कुछ ऐसे है तेरा बसेरा
इक शख्स हो तुम सब के वास्ते, मेंरे लिए सारा जहाँ हो !
होता है जब प्यार तो, भरोसा आ ही जाता है
शक इस मोहबत को तो बिल्कुल खा ही जाता है
लाख बचने की कोशिश करो लेकिन मेरी जान
इस भरी दुनिया में कोई भा ही जाता है !
जिस ने जुदाई की चुभन को न कभी महसूस किया हो
जिस ने दिल तो लिया हो पर अपना दिल न दिया हो
वो प्यार की कशिश को भला कैसे जान पायेगा ।
बस इस खूबसूरत एहसास से वोह महरूम रह जाएगा !
कभी कभी इंसान इस हाल में भी होता है
कोई वजह भी नहीं होती, फिर भी वो रोता है
होंठों pe लिए मुस्कान वो, खुशियाँ हैं बांटता
पर तन्हाई में वो अपनी आंखों को भिगोता है !
अजीब सी इक लाली थी उस हसीं के गालों में
सोचा था भूल जायेंगे उस बेवफा को हम लेकिन
ऐक भी याद न मिट सकी देखो इतने सालों में !!
दुआ करती है हर साँस मेंऋ, के तुम हो या कोई भी न हो
रहे हाथ में हाथ अपना, कभी दिल से न तुम जुदा हो
मेरे दिल-ओ-दिमाघ पेय हमदम, कुछ ऐसे है तेरा बसेरा
इक शख्स हो तुम सब के वास्ते, मेंरे लिए सारा जहाँ हो !
होता है जब प्यार तो, भरोसा आ ही जाता है
शक इस मोहबत को तो बिल्कुल खा ही जाता है
लाख बचने की कोशिश करो लेकिन मेरी जान
इस भरी दुनिया में कोई भा ही जाता है !
जिस ने जुदाई की चुभन को न कभी महसूस किया हो
जिस ने दिल तो लिया हो पर अपना दिल न दिया हो
वो प्यार की कशिश को भला कैसे जान पायेगा ।
बस इस खूबसूरत एहसास से वोह महरूम रह जाएगा !
कभी कभी इंसान इस हाल में भी होता है
कोई वजह भी नहीं होती, फिर भी वो रोता है
होंठों pe लिए मुस्कान वो, खुशियाँ हैं बांटता
पर तन्हाई में वो अपनी आंखों को भिगोता है !
थी सारी बात लकीरों की.........................
न चाहत के जज़्बात अलग,
न खुशियों के लम्हात अलग,
न फूलों से थी महकार अलग,
न गुजरी कोई बहार अलग,
न होंठों की मुस्कान अलग,
न दिल के हद-ओ पैमान अलग,
न दीन अलग, ईमान अलग,
न सुर संगीत नगमात अलग,
थी सारी बात लकीरों की ,
तेरे हाथ अलग मेरे हाथ अलग.
न खुशियों के लम्हात अलग,
न फूलों से थी महकार अलग,
न गुजरी कोई बहार अलग,
न होंठों की मुस्कान अलग,
न दिल के हद-ओ पैमान अलग,
न दीन अलग, ईमान अलग,
न सुर संगीत नगमात अलग,
थी सारी बात लकीरों की ,
तेरे हाथ अलग मेरे हाथ अलग.
रात सुनती रही में सुनाता रहा.............
रात सुनती रही में सुनाता रहा,
दर्द की दास्ताँ में बताता रहा,
लोग लोगों से चाहत निभाते रहे,
इक वो था मेरा दिल जलाता रहा,
धुप चुन सी उसकी तबियत रही,
वो निगाहें मिलाता रहा चुराता रहा,
इक में ही प्यासा रहा दोस्तों,
लोग पीते रहे में पिलाता रहा,
दिल के मेहमान खाने में रोनक रही,
कोई आता रहा कोई जाता रहा,
हम-मकतब ने सारा सबक पढ़ लिया,
में तेरा नाम लिखता रहा मिटाता रहा
दर्द की दास्ताँ में बताता रहा,
लोग लोगों से चाहत निभाते रहे,
इक वो था मेरा दिल जलाता रहा,
धुप चुन सी उसकी तबियत रही,
वो निगाहें मिलाता रहा चुराता रहा,
इक में ही प्यासा रहा दोस्तों,
लोग पीते रहे में पिलाता रहा,
दिल के मेहमान खाने में रोनक रही,
कोई आता रहा कोई जाता रहा,
हम-मकतब ने सारा सबक पढ़ लिया,
में तेरा नाम लिखता रहा मिटाता रहा
Sunday, June 14, 2009
वो मेरा नही था जो मुझे मिला ही नही….
मुझे किसी से कोई गिला ही नही…
वो मेरा नही था जो मुझे मिला ही नही….
डरते थे की कैसे जियेगे उससे बिछड़ कर….
पर अब तो यादो का सिलसिला भी नही…
हमे तुझसे कोई शिकायत नही दोस्त..
जो समझ सके हमको, शायद ऐसा कोई कभी मिला ही नही..
फ़िर भी अकेले ही लड़ने का हौसला बाकी है मुझमे..
इसीलिए कितने तूफ़ान आए, "जीत" कभी हिला ही नही..
वो मेरा नही था जो मुझे मिला ही नही….
डरते थे की कैसे जियेगे उससे बिछड़ कर….
पर अब तो यादो का सिलसिला भी नही…
हमे तुझसे कोई शिकायत नही दोस्त..
जो समझ सके हमको, शायद ऐसा कोई कभी मिला ही नही..
फ़िर भी अकेले ही लड़ने का हौसला बाकी है मुझमे..
इसीलिए कितने तूफ़ान आए, "जीत" कभी हिला ही नही..
ख्वाब कोई नया दिखा ज़िन्दगी !!!
अब तो मुझको हँसा जिंदगी
चाँद लम्हों को मेरा गम भुला जिंदगी !!!
टूटता रहा है हर सपना मेरा
एक सपना तो मेरा बचा जिंदगी !!!
हारता रहा हूँ हर कदम पे मैं
एक हार को तो जीत बना जिंदगी !!!
मेरी आखों में न अब लहू आ जाए
इस तरह न मुझको रुला जिंदगी !!!
टूटता है तो फिर टूट जाए..
हमे आदत है अब तो…
पर ख्वाब कोई नया दिखा ज़िन्दगी !!!
चाँद लम्हों को मेरा गम भुला जिंदगी !!!
टूटता रहा है हर सपना मेरा
एक सपना तो मेरा बचा जिंदगी !!!
हारता रहा हूँ हर कदम पे मैं
एक हार को तो जीत बना जिंदगी !!!
मेरी आखों में न अब लहू आ जाए
इस तरह न मुझको रुला जिंदगी !!!
टूटता है तो फिर टूट जाए..
हमे आदत है अब तो…
पर ख्वाब कोई नया दिखा ज़िन्दगी !!!
जिंदगी मेरी अब सज़ा सी लगती है..
अपनी हालत तो अब कुछ इस तरह की लगती है..
जिंदगी मेरी अब सज़ा सी लगती है..
अब तो खुशियों के अरमा भी न रहे बाक़ी..
खुशी आए तो किसी की बद-दुआ सी लगती है..
रूठे हुए को मानाने का अब शौक नही रहा..
किसी को मानना भी अब एक सज़ा सी लगती है..
आईने में ख़ुद से नज़र नही मिला पाता मै क्यों..??
दिखती है जो सूरत... वो मुझसे बेहद खफा सी लगती है...
जिंदगी मेरी अब सज़ा सी लगती है..
अब तो खुशियों के अरमा भी न रहे बाक़ी..
खुशी आए तो किसी की बद-दुआ सी लगती है..
रूठे हुए को मानाने का अब शौक नही रहा..
किसी को मानना भी अब एक सज़ा सी लगती है..
आईने में ख़ुद से नज़र नही मिला पाता मै क्यों..??
दिखती है जो सूरत... वो मुझसे बेहद खफा सी लगती है...
ख्वाहिशों को सर पे चढाया न करो........
पूनम की रात आँगन में आया न करो
चांदनी को इस तरह लजाया न करो
मुझ जैसे लोग हो न जायें बदगुमान कहीं
बेवजह ही तुम यूँ मुस्कुराया न करो
जो ख़ुद ही बिखरा है, वो किसी को क्या देगा
टूटते तारे को यूँ अजमाया न करो
मन की तेरे दर्द ने कुछ शेर दे दिए
पर बहुत हुआ अब और सताया न करो
खता पे मेरी मुझसे नाराज़ भी नहीं
अपने दीवाने को यूँ पराया करो
मैं संग हो गया तो कौन पूछेगा तुझे
ऐ खुदा मुझको इतना रुलाया न करो
टूटेंगी तो सीधे आँखों में चुभेंगी आतिश
ख्वाहिशों को सर पे चढाया न करो........
चांदनी को इस तरह लजाया न करो
मुझ जैसे लोग हो न जायें बदगुमान कहीं
बेवजह ही तुम यूँ मुस्कुराया न करो
जो ख़ुद ही बिखरा है, वो किसी को क्या देगा
टूटते तारे को यूँ अजमाया न करो
मन की तेरे दर्द ने कुछ शेर दे दिए
पर बहुत हुआ अब और सताया न करो
खता पे मेरी मुझसे नाराज़ भी नहीं
अपने दीवाने को यूँ पराया करो
मैं संग हो गया तो कौन पूछेगा तुझे
ऐ खुदा मुझको इतना रुलाया न करो
टूटेंगी तो सीधे आँखों में चुभेंगी आतिश
ख्वाहिशों को सर पे चढाया न करो........
Thursday, February 19, 2009
प्यार का रंग न बदला !!!!
दुनिया बदली
मगर प्यार का रंग न बदला
अब भी
खिले फूल के अन्दर
खुशबू होती है
गहरी पीड़ा में अक्सर हाँ
आँखें रोती हैं
कविता बदली, पर
लय-छंद-प्रसंग नहीं बदला
वर्षा होती
आसमान में बादल
घिरने पर
पात बिखर जाते हैं
जब भी आता है पतझर
पर पेड़ों से
पत्तों का आसंग नहीं बदला
हरदम भरने को उड़ान
तत्पर रहती पाँखें
मौसम आने पर
फूलों से
लदती हैं शाख़ें
बदली हवा
सुबह होने का ढंग नहीं बदला
मगर प्यार का रंग न बदला
अब भी
खिले फूल के अन्दर
खुशबू होती है
गहरी पीड़ा में अक्सर हाँ
आँखें रोती हैं
कविता बदली, पर
लय-छंद-प्रसंग नहीं बदला
वर्षा होती
आसमान में बादल
घिरने पर
पात बिखर जाते हैं
जब भी आता है पतझर
पर पेड़ों से
पत्तों का आसंग नहीं बदला
हरदम भरने को उड़ान
तत्पर रहती पाँखें
मौसम आने पर
फूलों से
लदती हैं शाख़ें
बदली हवा
सुबह होने का ढंग नहीं बदला
यारो किसी क़ातिल से कभी प्यार न माँगो !!!
यारो किसी क़ातिल से कभी प्यार न माँगो
अपने ही गले के लिये तलवार न माँगो
गिर जाओगे तुम अपने मसीहा की नज़र से
मर कर भी इलाज-ए-दिल-ए-बीमार न माँगो
खुल जायेगा इस तरह निगाहों का भरम भी ,
काँटों से कभी फूल की महकार न माँगो ।
सच बात पे मिलता है सदा ज़हर का प्याला ,
जीना है तो फिर जीने के इज़हार न माँगो ।
उस चीज़ का क्या ज़िक्र जो मुम्किन ही नहीं है,
सहरा में कभी साया-ए-दीवार ना माँगो ।
अपने ही गले के लिये तलवार न माँगो
गिर जाओगे तुम अपने मसीहा की नज़र से
मर कर भी इलाज-ए-दिल-ए-बीमार न माँगो
खुल जायेगा इस तरह निगाहों का भरम भी ,
काँटों से कभी फूल की महकार न माँगो ।
सच बात पे मिलता है सदा ज़हर का प्याला ,
जीना है तो फिर जीने के इज़हार न माँगो ।
उस चीज़ का क्या ज़िक्र जो मुम्किन ही नहीं है,
सहरा में कभी साया-ए-दीवार ना माँगो ।
जिंदगी में आ गया ठहराव !!!!!
जिंदगी में आ गया ठहराव ,
अब क्या कीजिये ? आस्तीन में
बसे है मुल्क के विष धर कई ,
फन उठाये डस रहा
अलगाव क्या कीजिये ?
आज के नेता कुर्सी के वास्ते आत्मा से बिके है ,
जनतन्त्र के नाम पर वादों पे टिके है ,
जब जोहरी ही andha हो phir hire का क्या maul ?
जब janta jage to खुल जाए sab ki poll।
अब क्या कीजिये ? आस्तीन में
बसे है मुल्क के विष धर कई ,
फन उठाये डस रहा
अलगाव क्या कीजिये ?
आज के नेता कुर्सी के वास्ते आत्मा से बिके है ,
जनतन्त्र के नाम पर वादों पे टिके है ,
जब जोहरी ही andha हो phir hire का क्या maul ?
जब janta jage to खुल जाए sab ki poll।
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