Monday, August 13, 2007

उसे भूल जा.......




कहॉ
आ कर रुके थे रास्ते..... कहॉ मौङ था उसे भूल जा

वो जो मिल गया उसे याद रख, जो नहीं मिल उसे भूल जा........


वो तेरे नसीब कि बारिश किसी और छत पे बरस घी

दिल-ए-बेखबर मेरी बात सुन , उसे भूल जा उसे भूल जा........


मैं तो गुम था तेरे धयान मैं, तेरे आस मैं तेरे गुमान मैं
सब कह गया mere कान मैं , मेरे पास आ उसे भूल जा.......


किसी आंख मैं नहीं अश्के-ए-गम, तेरे बाद नहीं कुछ भी कम

तुझे जिन्दगी नै भुला दिया, तू भी मुस्कूरा , उसे भूल जा.........


ना वो आंख ही तेरी आंख थी, ना वो खवाब ही तेरा खवाब था

दिल-ए-मुन्तज़िर तो ये किस लिए, तेरा जगना उसे भूल जा.........


ये जो दिन रात का है ख्याल सा, उसे देख ,

उस पर यकीन ना कर नहीं अक्स कोई भी मुस्तकिल, सर- ए-आइना उसे भूल जा.............


जो बिसात-ए-जान ही उलट गया, वो रस्ते से ही पलट गया

उसे रोकने से हसूल किया, उसे मत नीला, उसे भूल जा उसे भूल जा..............





जीत

१४ अगस्त २००७

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