Sunday, June 28, 2009

जब कोई खामोश रहकर सवाल कर लेता है......

कोई आँखों आँखों से बात कर लेता है,

कोई आँखों आँखों में मुलाक़ात कर लेता है,

बड़ा मुश्किल होता है तब जवाब देना ,

जब कोई खामोश रहकर सवाल कर लेता है......

मेरा कातिल भी रोयेगा ...............

हर महफिल भी रोएगी
हर एक दिल भी रोयेगा
जहाँ मेरी कश्ती डूबेगी
वहां साहिल भी रोयेगा
इतना प्यार बिखेर दूँगा
इस सारे ज़माने में
की मेरा कत्ल कर के
मेरा कातिल भी रोयेगा

Wednesday, June 17, 2009

कभी आंसू कभी खुशबू कभी नगमा बनकर ...................

कभी आंसू कभी खुशबू कभी नगमा बनकर

हम से हर शाम मिली है तेरा चेहरा बनकर

चाँद निकला है तेरी आँख के आंसू की तरह

फूल महकें हैं तेरी जुल्फ का साया बनकर

दिल के कागज़ पे उतरता है तुझे शेरों की तरह

मेरे होठों पे चमकता है तू नगमा बनकर

जिंदगी गुज़र रही है उस के ख्यालों में ...............

जिंदगी गुज़र रही है उस के ख्यालों में

अजीब सी इक लाली थी उस हसीं के गालों में

सोचा था भूल जायेंगे उस बेवफा को हम लेकिन

ऐक भी याद न मिट सकी देखो इतने सालों में !!

दुआ करती है हर साँस मेंऋ, के तुम हो या कोई भी न हो

रहे हाथ में हाथ अपना, कभी दिल से न तुम जुदा हो

मेरे दिल-ओ-दिमाघ पेय हमदम, कुछ ऐसे है तेरा बसेरा

इक शख्स हो तुम सब के वास्ते, मेंरे लिए सारा जहाँ हो !

होता है जब प्यार तो, भरोसा आ ही जाता है

शक इस मोहबत को तो बिल्कुल खा ही जाता है

लाख बचने की कोशिश करो लेकिन मेरी जान

इस भरी दुनिया में कोई भा ही जाता है !

जिस ने जुदाई की चुभन को न कभी महसूस किया हो

जिस ने दिल तो लिया हो पर अपना दिल न दिया हो

वो प्यार की कशिश को भला कैसे जान पायेगा ।

बस इस खूबसूरत एहसास से वोह महरूम रह जाएगा !

कभी कभी इंसान इस हाल में भी होता है

कोई वजह भी नहीं होती, फिर भी वो रोता है

होंठों pe लिए मुस्कान वो, खुशियाँ हैं बांटता

पर तन्हाई में वो अपनी आंखों को भिगोता है !

थी सारी बात लकीरों की.........................

न चाहत के जज़्बात अलग,
न खुशियों के लम्हात अलग,

न फूलों से थी महकार अलग,
न गुजरी कोई बहार अलग,
न होंठों की मुस्कान अलग,
न दिल के हद-ओ पैमान अलग,

न दीन अलग, ईमान अलग,
न सुर संगीत नगमात अलग,

थी सारी बात लकीरों की ,
तेरे हाथ अलग मेरे हाथ अलग.

रात सुनती रही में सुनाता रहा.............

रात सुनती रही में सुनाता रहा,

दर्द की दास्ताँ में बताता रहा,


लोग लोगों से चाहत निभाते रहे,


इक वो था मेरा दिल जलाता रहा,


धुप चुन सी उसकी तबियत रही,


वो निगाहें मिलाता रहा चुराता रहा,


इक में ही प्यासा रहा दोस्तों,


लोग पीते रहे में पिलाता रहा,


दिल के मेहमान खाने में रोनक रही,


कोई आता रहा कोई जाता रहा,


हम-मकतब ने सारा सबक पढ़ लिया,


में तेरा नाम लिखता रहा मिटाता रहा

Sunday, June 14, 2009

वो मेरा नही था जो मुझे मिला ही नही….

मुझे किसी से कोई गिला ही नही…

वो मेरा नही था जो मुझे मिला ही नही….

डरते थे की कैसे जियेगे उससे बिछड़ कर….

पर अब तो यादो का सिलसिला भी नही…



हमे तुझसे कोई शिकायत नही दोस्त..

जो समझ सके हमको, शायद ऐसा कोई कभी मिला ही नही..

फ़िर भी अकेले ही लड़ने का हौसला बाकी है मुझमे..

इसीलिए कितने तूफ़ान आए, "जीत" कभी हिला ही नही..

ख्वाब कोई नया दिखा ज़िन्दगी !!!

अब तो मुझको हँसा जिंदगी
चाँद लम्हों को मेरा गम भुला जिंदगी !!!

टूटता रहा है हर सपना मेरा
एक सपना तो मेरा बचा जिंदगी !!!

हारता रहा हूँ हर कदम पे मैं
एक हार को तो जीत बना जिंदगी !!!

मेरी आखों में न अब लहू आ जाए
इस तरह न मुझको रुला जिंदगी !!!

टूटता है तो फिर टूट जाए..
हमे आदत है अब तो…

पर ख्वाब कोई नया दिखा ज़िन्दगी !!!

जिंदगी मेरी अब सज़ा सी लगती है..

अपनी हालत तो अब कुछ इस तरह की लगती है..
जिंदगी मेरी अब सज़ा सी लगती है..

अब तो खुशियों के अरमा भी न रहे बाक़ी..
खुशी आए तो किसी की बद-दुआ सी लगती है..

रूठे हुए को मानाने का अब शौक नही रहा..
किसी को मानना भी अब एक सज़ा सी लगती है..

आईने में ख़ुद से नज़र नही मिला पाता मै क्यों..??
दिखती है जो सूरत... वो मुझसे बेहद खफा सी लगती है...

ख्वाहिशों को सर पे चढाया न करो........

पूनम की रात आँगन में आया न करो
चांदनी को इस तरह लजाया न करो

मुझ जैसे लोग हो न जायें बदगुमान कहीं
बेवजह ही तुम यूँ मुस्कुराया न करो


जो ख़ुद ही बिखरा है, वो किसी को क्या देगा
टूटते तारे को यूँ अजमाया न करो

मन की तेरे दर्द ने कुछ शेर दे दिए
पर बहुत हुआ अब और सताया न करो

खता पे मेरी मुझसे नाराज़ भी नहीं
अपने दीवाने को यूँ पराया करो

मैं संग हो गया तो कौन पूछेगा तुझे
ऐ खुदा मुझको इतना रुलाया न करो

टूटेंगी तो सीधे आँखों में चुभेंगी आतिश
ख्वाहिशों को सर पे चढाया न करो........