Wednesday, August 15, 2007

ज़माने ने मुझको ठुकरा दिया है

ज़माने ने मुझको ठुकरा दिया है
मौत के और करीब ला दिया है
कभी मुड के जो पीछे देखता हूँ
सोचता हूँ, दुनिया ने मुझे क्या दिया हैं ?

वो जिसने मोहब्बत कि बाजी ना खेली
क्या ख़ाक ज़माने में वो इन्सान जिया है
हमारी तुम्हारी कुछ अलग बात है
इश्क तो दुनिया में बहुतों ने किया है

बिन पिए जो मैं लड्खड़ा रह हूँ
ये आंखों ने तेरी बता क्या किया है ?
मंज़िल कि तलाश में गया था मुसाफिर
रास्ते ने खुद उसको भटका दिया है !!

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