"मैं नज़र से पी रह हूँ,
ये शमा बदल न जाये
न झुकाओ तुम निगाहें,
कहीं रात ढाल न जाये
मेरी ज़िंदगी के मालिक,
मेरे दिल पे हाथ रखना
के तेरे आने कि ख़ुशी में,
कही मेरा दम निकल न जाये"
This blog contains my poems And I think that only my poems can describe me better.
Tuesday, October 30, 2007
Monday, October 29, 2007
रक्स करती हें...!!!!
मेरे खवाबों के गुलशन मैं,
खिजाएँ रक्स करती हें,
मेरे होंठों कि लर्जिश मैं,
वफायें रक्स करती हें...
मुझे वो लाख तड़्पाये,
मगर उस शख्स कि खातिर,
मेरे दिल के अंधेरों मैं,
दुआएं रक्स करती हें....
उसे कहना के लौट आये,
सुलगती शाम से पहली,
किसी कि खुश्क आंखों मैं,
सदायें रक्स करती हें..........
खुदा जाने कैसी कशिश है , तेरी यादों मैं...???
मैं तेरा jikra छेडूँ तो ,
हवाएं रक्स करती हें...!!!!
खिजाएँ रक्स करती हें,
मेरे होंठों कि लर्जिश मैं,
वफायें रक्स करती हें...
मुझे वो लाख तड़्पाये,
मगर उस शख्स कि खातिर,
मेरे दिल के अंधेरों मैं,
दुआएं रक्स करती हें....
उसे कहना के लौट आये,
सुलगती शाम से पहली,
किसी कि खुश्क आंखों मैं,
सदायें रक्स करती हें..........
खुदा जाने कैसी कशिश है , तेरी यादों मैं...???
मैं तेरा jikra छेडूँ तो ,
हवाएं रक्स करती हें...!!!!
क्यों तुम मुझको अच्छी लगती हो ??
इक दिन जब तुमने ये कहा था मैं तुमको अच्छा लगता हूँ
उस दिन से मैं अपने आप को भी कुछ अच्छा लगता हूँ
उससे पहले सोचा नही था के मैं कैसा लगता हूँ
तुमने कहा था रंग नीला मुझ पर अलग ही लगता है
उसके बाद से रंग नीला मैं पहनता हूँ
खुद को देखा नज़र से तेरी तब ही कुछ मैं अच्छा लगा
वरना सोचा कभी नही था कि मैं कैसा लगता हूँ
तुम मुझको बस जैसी हो वैसे ही अच्छे लगती हो
खोई खोई आँखें तुम्हारी उनमे मैं खो जाता हूँ
लापरवाह सी हंसी तुम्हारी मुझको हिम्मत देता है
एक नज़र जो मुझको देखो फूल सा मैं खिल जाता हूँ
और क्या क्या मैं बतालाओं क्यों तुम मुझको अच्छी लगती हो ??
उस दिन से मैं अपने आप को भी कुछ अच्छा लगता हूँ
उससे पहले सोचा नही था के मैं कैसा लगता हूँ
तुमने कहा था रंग नीला मुझ पर अलग ही लगता है
उसके बाद से रंग नीला मैं पहनता हूँ
खुद को देखा नज़र से तेरी तब ही कुछ मैं अच्छा लगा
वरना सोचा कभी नही था कि मैं कैसा लगता हूँ
तुम मुझको बस जैसी हो वैसे ही अच्छे लगती हो
खोई खोई आँखें तुम्हारी उनमे मैं खो जाता हूँ
लापरवाह सी हंसी तुम्हारी मुझको हिम्मत देता है
एक नज़र जो मुझको देखो फूल सा मैं खिल जाता हूँ
और क्या क्या मैं बतालाओं क्यों तुम मुझको अच्छी लगती हो ??
आसान नही
"उनकी चाहत दिल से उनका एहसास साँसों से
अंजान करना इतना आसान नही
नाम उनका आते ही खिल जाता है दिल
आंखों से वो चमक मिटाना इतना आसान नही
भूलने कि कोशिश में और याद आते है वो
तनहाइयों में उनकी याद से बच पाना इतना आसान नही
जिधर देखु वो ही नज़र आते है
नज़रों से उनकी छवि हटाना इतना असं नही
मजबूर है वो के हैं हमसे दूर, न मिल पाएं तो क्या
पर दिल में से उन्हें मिटाना ,भूल पाना इतना आसान नही"
अंजान करना इतना आसान नही
नाम उनका आते ही खिल जाता है दिल
आंखों से वो चमक मिटाना इतना आसान नही
भूलने कि कोशिश में और याद आते है वो
तनहाइयों में उनकी याद से बच पाना इतना आसान नही
जिधर देखु वो ही नज़र आते है
नज़रों से उनकी छवि हटाना इतना असं नही
मजबूर है वो के हैं हमसे दूर, न मिल पाएं तो क्या
पर दिल में से उन्हें मिटाना ,भूल पाना इतना आसान नही"
अजीब पगली सी लड़की है
मुझे हर ख़त मैं लिखती है
“मुझे तुम याद करते हो?
तुम्हे में याद आती हूँ ?
मेरी बातें सताती हैं?
मेरी नींदें जगाती हैं?
मेरी आंखें रुलाती हैं?
दिसम्बर के सुनहरी धुप मैं अब भी टहलते हो?
किसी खामोश रस्ते से
कोई आवाज़ आती है?
कपकपाती सर्द रातौं मैं
तुम अब भी छत पे जाते हो?
फलक के सब सितारों को
मेरी बातें सुनते हो?
किताबोंसे तुम्हारे इश्क मैं कोई कमी आई?
या मेरी याद के शिद्दत से आंखों मैं नमी आई?"
“मुझे तुम याद करते हो?
तुम्हे में याद आती हूँ ?
मेरी बातें सताती हैं?
मेरी नींदें जगाती हैं?
मेरी आंखें रुलाती हैं?
दिसम्बर के सुनहरी धुप मैं अब भी टहलते हो?
किसी खामोश रस्ते से
कोई आवाज़ आती है?
कपकपाती सर्द रातौं मैं
तुम अब भी छत पे जाते हो?
फलक के सब सितारों को
मेरी बातें सुनते हो?
किताबोंसे तुम्हारे इश्क मैं कोई कमी आई?
या मेरी याद के शिद्दत से आंखों मैं नमी आई?"
अजीब पगली सी लड़की है continue..
अजीबी पगली सी लड़की है
मुझे हर ख़त मैं लिखती है..
जवाब में उस को लिखता हूँ ..
मेरी मसरूफियत देखो !
सुबह से शाम कोलेज़ मैं
उम्र का दिया जलता है
फिर उस के बाद दुनिया कि
कई मजबूरियां पावों मैं
बैड़ी दाल रखती हैं!!!
मुझे बे-फिक्र, चाहत से भरे सपने नही दिखते
तेहेलने, जगने, रोने कि मोहलत ही नहीं मिलती
सितारो से मिले अरसा हुआ..नाराज़ हूँ शायद
किताबों से शौक़ मेरा अभी
वैसे हे क़येम है
फर्क इतना पड़ा है
अब उन्हें अरसे मैं पढता हूँ
तुम्हइन किस ने कहा पगली तुम्हे में याद करता हूँ
के मैं खुद को भुलाने कि जुस्तजू मैं हूँ
तुम्हे न याद आने कि जुस्तजू मैं हूँ
मगेर यह जुस्तजू मेरी बहुत नाकाम रहती है
मेरे दिन रात मैं अब भी तुम्हारी शाम रहती है
मेरे लफ्जोंन कि हेर माला तुम्हारे नाम रहती है
तुम्हे किस ने कहा पगली तुम्हे में याद करता हूँ !!
पुरानी बात है जो लोग अक्सर गुनगुनाते हैं
उन्हें हम याद करते हैं जिन्हें हम भूल जाते हैं
अजीबी पगली सी लड़की है
मेरी मसरूफियत देखो
तुम्हे दिल से भुकुं तो तुम्हारी याद आये न!
तुम्हे दिल से भुलाने कि मुझे फुरसत नही मिलती
और इस मसरूफ जीवन मे
तुम्हरे ख़त का एक जुमला
“तुम्हें मैं याद आती हूँ ?”
मेरी चाहत कि शिद्दत मैं कमी होने नही देता
बहुत रातें जगाता है मुझे सोने नही देता
सो अगली बार अपने ख़त मैं यह जुमला नही लिखना
अजीबी पगली सी लड़की है
मुझे फिर भी ये लिखती है
मुझे तुम याद करते हो?
तुम्हे मैं याद आती हूँ ?”
मुझे हर ख़त मैं लिखती है..
जवाब में उस को लिखता हूँ ..
मेरी मसरूफियत देखो !
सुबह से शाम कोलेज़ मैं
उम्र का दिया जलता है
फिर उस के बाद दुनिया कि
कई मजबूरियां पावों मैं
बैड़ी दाल रखती हैं!!!
मुझे बे-फिक्र, चाहत से भरे सपने नही दिखते
तेहेलने, जगने, रोने कि मोहलत ही नहीं मिलती
सितारो से मिले अरसा हुआ..नाराज़ हूँ शायद
किताबों से शौक़ मेरा अभी
वैसे हे क़येम है
फर्क इतना पड़ा है
अब उन्हें अरसे मैं पढता हूँ
तुम्हइन किस ने कहा पगली तुम्हे में याद करता हूँ
के मैं खुद को भुलाने कि जुस्तजू मैं हूँ
तुम्हे न याद आने कि जुस्तजू मैं हूँ
मगेर यह जुस्तजू मेरी बहुत नाकाम रहती है
मेरे दिन रात मैं अब भी तुम्हारी शाम रहती है
मेरे लफ्जोंन कि हेर माला तुम्हारे नाम रहती है
तुम्हे किस ने कहा पगली तुम्हे में याद करता हूँ !!
पुरानी बात है जो लोग अक्सर गुनगुनाते हैं
उन्हें हम याद करते हैं जिन्हें हम भूल जाते हैं
अजीबी पगली सी लड़की है
मेरी मसरूफियत देखो
तुम्हे दिल से भुकुं तो तुम्हारी याद आये न!
तुम्हे दिल से भुलाने कि मुझे फुरसत नही मिलती
और इस मसरूफ जीवन मे
तुम्हरे ख़त का एक जुमला
“तुम्हें मैं याद आती हूँ ?”
मेरी चाहत कि शिद्दत मैं कमी होने नही देता
बहुत रातें जगाता है मुझे सोने नही देता
सो अगली बार अपने ख़त मैं यह जुमला नही लिखना
अजीबी पगली सी लड़की है
मुझे फिर भी ये लिखती है
मुझे तुम याद करते हो?
तुम्हे मैं याद आती हूँ ?”
कुछ ऐसे...
के मेरी आंखों को कुछ अच्छा न लगे कुछ ऐसे तुम मुझसे नज़रें मिलाना
के दिन का हर पल हर लम्हा सुहाना लगे कुछ ऐसे मेरे साथ तुम वक्त बिताना
के हँसी मेरे लबों से उतरना न चाहे कुछ ऐसे मेरे लिए तुम मुस्कुराना
के हो जाये मुझे खुशियों कि आदत कुछ ऐसे मेरी ज़िंदगी से ग़मों को मिटाना
के मुझमे भी जगे सपने सच करने कइ उम्मीद कुछ ऐसे तुम मेरे लिए ख्वाब सजाना
के मैं हर रात का इंतज़ार करूं कुछ ऐसे तुम मुझे आसमान का वो तारा दिखाना
के तुम देखते रहो मुझे हर दम कुछ ऐसे मुझे अपने सामने बिठाना
के मैं नाराज़ होना चाहूँ बार बार कुछ ऐसे तुम मुझे रूठने पर मानना
के करता रहूँ तुझे प्यार उम्र भर कुछ ऐसे शमा-ए-मोहब्बत को जलाना
के हो मेरा बसेरा कहीं और नामुमकिन कुछ ऐसे कुछ ऐसे मुझे अपने दिल मी बसाना
के बन जाओ मेरे दिल कि धड़कन कुछ ऐसे तुम मेरे दिल मे समाना
के नामंजूर हो मुझे किसी और का होना कुछ ऐसे तुम मुझे अपना बनाना
के मुझे बारिश कि बूंदे भी अधूरी लगे कुछ ऐसे मुझ पर तुम प्यार बरसाना
के बन जाये हम मोहब्बत कि मिसाल कुछ ऐसे तुम इस रिश्ते को निभाना
के ज़िंदगी का आखरी पल भी हसीं लगे कुछ ऐसे मुझे तुम गले से लगाना
के मौत भी हमे जुदा न कर पाए कुछ ऐसे मैं तेरा हो जाऊं...
कुछ ऐसे॥तुम मेरी हो जाना !!
के दिन का हर पल हर लम्हा सुहाना लगे कुछ ऐसे मेरे साथ तुम वक्त बिताना
के हँसी मेरे लबों से उतरना न चाहे कुछ ऐसे मेरे लिए तुम मुस्कुराना
के हो जाये मुझे खुशियों कि आदत कुछ ऐसे मेरी ज़िंदगी से ग़मों को मिटाना
के मुझमे भी जगे सपने सच करने कइ उम्मीद कुछ ऐसे तुम मेरे लिए ख्वाब सजाना
के मैं हर रात का इंतज़ार करूं कुछ ऐसे तुम मुझे आसमान का वो तारा दिखाना
के तुम देखते रहो मुझे हर दम कुछ ऐसे मुझे अपने सामने बिठाना
के मैं नाराज़ होना चाहूँ बार बार कुछ ऐसे तुम मुझे रूठने पर मानना
के करता रहूँ तुझे प्यार उम्र भर कुछ ऐसे शमा-ए-मोहब्बत को जलाना
के हो मेरा बसेरा कहीं और नामुमकिन कुछ ऐसे कुछ ऐसे मुझे अपने दिल मी बसाना
के बन जाओ मेरे दिल कि धड़कन कुछ ऐसे तुम मेरे दिल मे समाना
के नामंजूर हो मुझे किसी और का होना कुछ ऐसे तुम मुझे अपना बनाना
के मुझे बारिश कि बूंदे भी अधूरी लगे कुछ ऐसे मुझ पर तुम प्यार बरसाना
के बन जाये हम मोहब्बत कि मिसाल कुछ ऐसे तुम इस रिश्ते को निभाना
के ज़िंदगी का आखरी पल भी हसीं लगे कुछ ऐसे मुझे तुम गले से लगाना
के मौत भी हमे जुदा न कर पाए कुछ ऐसे मैं तेरा हो जाऊं...
कुछ ऐसे॥तुम मेरी हो जाना !!
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