Tuesday, August 21, 2007

वरना में तुझे चाहने की खता बार बार नही करता.................





मैं लफ्जों मैं कुछ भी इज़हार नही करता
इसका मतलब ये नही क मैं तुझे प्यार नही करता॥

चाहता हूँ मैं तुझे आज भी
पर तेरी सोच मैं अपना वक्त बेकार नही करता॥

तमाशा ना बन जाए कहीं मोहब्बत मेरी
इसी लिए अपने दर्द को नमोदार नही करता ॥

जो कुछ मिला है उसी मैं खुश हूँ मैं
तेरे लिए खुदा से तकरार नही करता॥

पर कुछ तो बात है तेरी फितरत में जालिम
वरना में तुझे चाहने की खता बार बार नही करता॥



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