Tuesday, September 15, 2009

एक ज़ख्म भी उसको दिखाया न जा सका..................

पलकों पे आंसू को सजाया न जा सका,
उसको भी दिल का हाल बताया न जा सका,

ज़ख्मों से चूर चूर था यह दिल मेरा,
एक ज़ख्म भी उसको दिखाया न जा सका,

जब तेरी याद आई तो कोशिश के बावजूद,
आंखों में आँसू को छुपाया न जा सका,

कुछ लोग ज़िन्दगी में ऐसे भी आए है,
जिनको किसी भी लम्हे भुलाया न जा सका,

बस इस ख़याल से कही उसको दुःख न हो,
हमसे तो हाल-ऐ-गम भी सुनाया न जा सका,

वोह मुस्कुरा रहा था मेरे रूबरू मगर,
चेहरे का रंग उससे छुपाया न जा सका,

तनहाइयों की आग में हम जल गए,
मगर फासला दिलो का मिटाया न जा सका..!!!

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