Tuesday, September 15, 2009

देखकर दिलकशी ज़माने की ....................!

देखकर दिलकशी ज़माने की

आरजू है फरेब खाने की

ऐ गम-ऐ- ज़िन्दगी न हो नाराज़

मुझको आदत है मुस्कुराने की

अंधेरों से न डर

के रास्ते में रौशनी है मयखाने की

आज तेरी जुल्फों को प्यार करू

के रात है मशालें जलाने की !

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