अपनी हालत तो अब कुछ इस तरह की लगती है..
जिंदगी मेरी अब सज़ा सी लगती है..
अब तो खुशियों के अरमा भी न रहे बाक़ी..
खुशी आए तो किसी की बद-दुआ सी लगती है..
रूठे हुए को मानाने का अब शौक नही रहा..
किसी को मानना भी अब एक सज़ा सी लगती है..
आईने में ख़ुद से नज़र नही मिला पाता मै क्यों..??
दिखती है जो सूरत... वो मुझसे बेहद खफा सी लगती है...
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