Thursday, May 5, 2011

कहाँ मिलता है...............!!!!!!!!!!!

प्यार का हक है
ज़माने में सभी को लेकिन
प्यार करने का सिला
सब को कहाँ मिलता है

यह भी क्या कम है के
कुछ देर को हम हंस तो लिए
यह मुक्क़द्दर भी भला
सब को कहाँ मिलता है

हाल कुछ ऐसा है के
चाहें भी तो सुना न सकें
अपनी रूठी हुई किस्मत को
मन भी न सकें

आज यह सोच के
समझा लिया दिल को हमने
के तरपने का मज़ा
सब को कहाँ मिलता है

ऐसे भी लोग हैं जो
पल में बदल जाते हैं
एक हम हैं के जो
खवाबों से बहल जाते हें

कितने अरमान थे
मंजिल पर पहुँचने के मगर
अपनी मंजिल का पता सब को
कहाँ मिलता है

No comments:

Post a Comment