Thursday, November 25, 2010

सुनसान हैं रास्ते.............!!

सुनसान हैं रास्ते सुनी हैं तेरी राहें
कब से लगी हुई हैं इन पर मेरी निगाहें

वोह शर्मा कर हसीं पलकें झुका लेना
वोह जेरे लैब ज़रा सा मुस्करा देना
मेरी जान न ले लें कहीं तेरी अदाएं
अभी तुम कहते हो हमें महफ़िल से अपनी उठ जाने को
मगर याद आएँगी इक रोज़ तुम्हें मेरी वफायें
यह बेरुखी यह तेरी लापरवाही का आलम मुझे है मंज़ूर

दिल्बर्दाश्ता न कर पाएंगी मुझे ये तेरी जफाएं
तुम्हें ये जिद के, न रखोगे रह - ओ - रसम मुझ से
मेरा यह ईमान के, रंग लायेंगी आखिर मेरी दुआएं.

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