Wednesday, December 5, 2007

मिर्जा गालिब

की वफ़ा हमसे तो ग़ैर उसे जफ़ा कहते हैं
होती आई है के अच्छों को बुरा कहते हैं


आज हम अपनी परेशानी-ए-खातिर उनसे
कहने जाते तो हैं, पर देखिए क्या कहते हैं


अगले वक्तों के हैं ये लोग, इन्हेंन कुछ न कहो
जो मय-ओ-नगमों को अन्दोहरूबा कहते हैं


[अन्दोहरूबा=cure for pain or sorrow]


दिल मैं आ जाये है, होती है जो फुरसत गश से
और फिर कौन से नाले को रसा कहते हैं ?


[गश=senseless/in a faint; रसा=with a long reach]


है पर-ए-सरहद-ए-इदराक से अपना मस्जूद
किबले को, अहल-ए-नज़र, किब्लानुमा कहते हैं


[पर-ए-सरहद-ए-इदराक=beyond the boundaries of knowledge]
[मस्जूद=to whom one bows i.e. God]


पा-ए-अफागार पे जब से तुझे रहम आया है
खार-ए-राह को तेरे हम मैहर-ए-गिया कहते हैं

[पा-ए-अफागार=wounded feet; खार-ए-राह=thorn in the road]
[मैहर-ए-गिया=(blade of) grass of kindness]


इक शरार दिल मैं है, उस से कोई घबराएगा क्या
आग मतलब है हमको, जो हवा कहते हैं



देखिए लाती है उस शोख की नाख्वत क्या रंग
उस की हर बात पे हम नाम-ए-खुदा कहते हैं


[नाख्वत=pride]


वहशत-ओ-शेफ्ता अब मर्सिया कहवें शायद
मर गया "ग़ालिब"-ए-आशुफ्तानावा कहते हैं


[वहशत-ओ-शेफ्ता=two poets of that time; मर्सिया=eulogy/poem of sorrow]
[आशुफ्तानावा=one who speaks nonsense]

1 comment:

  1. Janab aaj Kal Kya kar rahe hai,

    Mujhe Gazalo ka kafi shauk hai agar aap k pas gajal ki koi hindi file ho to please mujhe mail kare
    saagarsln@yahoo.in

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