Wednesday, November 7, 2007

मैं ही तो मुहब्बत हूँ .....!!

मैं खयालो में, मैं सवालो में
मैं कभी सुबह, मैं कभी शाम
मैं कभी रात, मैं कभी जज्बात
मैं जीत हूँ, मैं प्रीत हूँ
मैं आँख का इशारा, मैं दिल का हुलारा
मैं कहीं धड़कन मैं कहीं साँसें
मैं कहीं दिलबर, मैं कहीं महबूबा
मैं कहीं यार, मैं कहीं आप रब्ब

बता मुझे, मैं कहाँ नहीं
मैं यहाँ, मैं वहाँ
मुझसे ही यह सारा जहाँ
मुझसे कोई जुदा नहीं
मैं तुझे में मैं मुझ में
मैं कभी तेरा दिलबर हसीं
कभी तेरा जानाशीन
मैं हर वक़्त तुझ में
बस कहते हैं मुझे पर्दानशीं

मैं जो शब में हूँ
मैं ही तो मुहब्बत हूँ.......!!

No comments:

Post a Comment