आओ यादों के फूल सजा ले हम
कभी तुम याद आओ हमे
कभी याद तुम्हे आये हम
दिल कि चौखट पे घावों ने किये हैं बसेरे
कभी सहलाओं तुम कभी मरहम लगाए हम
यूं न मिलना हम से जैसे मिलते हो किसी अजनबी से
कभी लगाना गले हमको
कभी पहनाये हार बाहों के हम
मेरे दिल पे आज भी हैं
यादें उन मुलाकातों कि
कभी आना तेरा दहलीज पेर मेरी
कभी परदों से देखते थे हम
आये सनम न कटे अब इन्जेज़ार की ये घड़ियाँ
यादों की फूलों से कैसे ज़िंदगी गुजारे हम
No comments:
Post a Comment