Monday, October 29, 2007

अजीब पगली सी लड़की है

मुझे हर ख़त मैं लिखती है

“मुझे तुम याद करते हो?
तुम्हे में याद आती हूँ ?
मेरी बातें सताती हैं?
मेरी नींदें जगाती हैं?
मेरी आंखें रुलाती हैं?
दिसम्बर के सुनहरी धुप मैं अब भी टहलते हो?
किसी खामोश रस्ते से
कोई आवाज़ आती है?
कपकपाती सर्द रातौं मैं
तुम अब भी छत पे जाते हो?
फलक के सब सितारों को
मेरी बातें सुनते हो?
किताबोंसे तुम्हारे इश्क मैं कोई कमी आई?
या मेरी याद के शिद्दत से आंखों मैं नमी आई?"

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