इक दिन जब तुमने ये कहा था मैं तुमको अच्छा लगता हूँ
उस दिन से मैं अपने आप को भी कुछ अच्छा लगता हूँ
उससे पहले सोचा नही था के मैं कैसा लगता हूँ
तुमने कहा था रंग नीला मुझ पर अलग ही लगता है
उसके बाद से रंग नीला मैं पहनता हूँ
खुद को देखा नज़र से तेरी तब ही कुछ मैं अच्छा लगा
वरना सोचा कभी नही था कि मैं कैसा लगता हूँ
तुम मुझको बस जैसी हो वैसे ही अच्छे लगती हो
खोई खोई आँखें तुम्हारी उनमे मैं खो जाता हूँ
लापरवाह सी हंसी तुम्हारी मुझको हिम्मत देता है
एक नज़र जो मुझको देखो फूल सा मैं खिल जाता हूँ
और क्या क्या मैं बतालाओं क्यों तुम मुझको अच्छी लगती हो ??
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