सोचता हूँ उसे नींद भी आती होगी
या मेरी तरह फक्त अश्क बहाती होगी
वो मेरी शक्ल मेरा नाम बोलने वाली
अपनी तस्वीर से क्या आँख मिलाती होगी
शाम होते ही चौखट पर जला कर शमायें
अपनी पलकों पर कई ख्वाब सजाती होगी
उस ने सिलवा भी लिए होंगे स्याह रंग लिबास
अब उदासी के साथ दिवाली मनाती होगी
होती होगी मेरी याद की तलब में पागल
जब भी ज़ुल्फोँ में कोई फूल सजाती होगी ???
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