आज किया ज़िक्र किसी ने जो tumhaaraa
हलके हलके से फिर तुम याद आने लगे॥
मैं पुरानी बातोँ के समंदर मैं डूबने लगा
दिल मैं एक बार फिर तुम उतरने लगे ॥
पलकों के दरवाज़े को बंद किया मैंने
और आंसू बन के तुम आँखों से बहने लगे ॥
बेबसी इतनी के मेरे हाथ उठ गए
दोबारा अल्लाह से तुम्हें मांगने लगे॥
ज़िक्र तुम्हारा सुन कर एक बार फिर
मरे जज्बात तुम्हारी tamanna करने लगे॥
बना के तस्वीर तेरी मेरे जेहन मैं
मेरे टूटे अरमान रोने लगे॥
पा के तुम्हें khwabon मैं हम
जाग के फिर तुम्हें khone लगे ॥
वादा चाहता हूँ तकदीर से यह
के बदल दे वह जो होने लगे॥
NOTE- some formatting problem in my internet that's why some words in english .
This blog contains my poems And I think that only my poems can describe me better.
Friday, April 4, 2008
"आज किया ज़िक्र किसी ने जो तुम्हारा"
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