अजनबी हो कर भी दिलनशीं तुम हो
अब कोइ आरजू नहीं बाक़ी
जस्तजू मेरी आखरी तुम हो
मैं जमीन पर घना अँधेरा हूँ
आसमानों कि चांदनी तुम हो
दोस्तो से कि वफ़ा कि उम्मीद
किस जमाने के आदमी तुम हो
ऐसा लगता है की मेरी जिन्दगी तुम हो
अजनबी होकर भी दिलनशीं तुम हो !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
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