Monday, July 30, 2007

ना रहे अब वो हम



बदल सा गया कुछ, ना रहे अब वो हम
खो गए ख़याल, टूट गयी है कलम
चलते चलते लिया वक़्त ने यूँ मोड़
जा रहे थे कहीँ, चल दिए कहीँ हम
ना कहने को कुछ, ना सुनने कि ख्वाहिश
हर जज्बे से खाली जैसे अब हुए हम
अस्खों का समुन्दर उफान रह है दिल मैं
खुस्क हैं लेकिन, नहीं हैं आँखें नम
खो रहे हैं पुराने, जुड़ रहे नए रिश्ते
वक़्त दे रह है एक नए इन्सान को जनम !!

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