Wednesday, June 17, 2009

कभी आंसू कभी खुशबू कभी नगमा बनकर ...................

कभी आंसू कभी खुशबू कभी नगमा बनकर

हम से हर शाम मिली है तेरा चेहरा बनकर

चाँद निकला है तेरी आँख के आंसू की तरह

फूल महकें हैं तेरी जुल्फ का साया बनकर

दिल के कागज़ पे उतरता है तुझे शेरों की तरह

मेरे होठों पे चमकता है तू नगमा बनकर

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