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ग़ज़ल तो लिखी है पर कहूँ कैसे
किसी कि बात किसी से कहूँ कैसे !
तेरी बात पर चुप एक ज़माना है
तेरी बात पर बात फिर कहूँ कैसे!
सुना है वो चाहत के देश से लौटा है
उसे गम के फ़साने फिर कहूँ कैसे!
ना जान सका तेरे दिल कि बात अब तक
तुझ से अपने दिल कि बात फिर कहूँ कैसे !!
जीत
३० जुलाई २००७